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उत्तराखंड की बेटी सृष्टि की फिल्म 'एक था गांव' मामी फिल्म महोत्सव की इंडिया गोल्ड श्रेणी में हुई शामिल

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  उत्तराखंड के टिहरी जिले के सेमला गांव की सृष्टि लखेड़ा की फिल्म ‘एक था गांव’ (वंस अपॉन ए विलेज) ने मुंबई एकेडमी ऑफ मूविंग इमेज (मामी) फिल्म महोत्सव के इंडिया गोल्ड श्रेणी में जगह बनाई है। गढ़वाली और हिंदी भाषा में बनी इस फिल्म में घोस्ट विलेज (पलायन से खाली हो चुके) की कहानी है। सृष्टि की फिल्म का मुकाबला विभिन्न भाषाओं की चार फिल्मों के साथ है। पहले मुंबई फिल्म महोत्सव का आयोजन इसी महीने होना था, लेकिन कोविड संकट के चलते इसका आयोजन अगले साल होगा। मूल रूप से विकास खंड कीर्तिनगर के सेमला गांव की रहने वाली सृष्टि का परिवार ऋषिकेश में रहता है। वह पिछले 10 सालों से फिल्म लाइन के क्षेत्र में हैं। उत्तराखंड में पलायन की पीड़ा को देखते हुए  सृष्टि ने पावती शिवापालन के साथ (सह निर्माता) फिल्म बनाने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने अपने गांव का चयन किया। सृष्टि बताती है कि पहले उनके गांव में 40 परिवार रहते थे और अब पांच से सात लोग ही बचे हैं। गांव वालों को किसी न किसी मजबूरी से गांव छोड़ना पड़ा है। इसी उलझन को उन्होंने एक घंटे की फिल्म के रूप में पेश किया है।  80 साल की ली...

राज्यसभा की एक सीट का चुनाव : भाजपा की जीत तय- Devbhoomi News

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  देहरादून। पिछले दो लोकसभा चुनाव में पांचों सीटों पर परचम फहराने और 2017 के विधानसभा चुनाव में 70 में से 57 सीटों पर काबिज होकर इतिहास रचने के बाद भाजपा अगले महीने एक और चुनावी उपलब्धि खाते में जुड़ने का इंतजार कर रही है। यह है राज्यसभा की एक सीट का चुनाव। फिलहाल यह सीट कांग्रेस के पास है, लेकिन अब जिस तरह का गणित राज्य विधानसभा में है, उसमें भाजपा की जीत तय है। यही वजह है कि भाजपा के कई दिग्गजों की नजरें इस सीट पर टिकी हुई हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। यह बात दीगर है कि पार्टी ने अगर उत्तराखंड के बाहर से किसी बड़े नेता को टिकट थमाया तो किसी और की भी लॉटरी लग सकती है। नौ नवंबर 2000 को उत्तराखंड देश के 27वें राज्य के रूप में वजूद में आया। तब उत्तर प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद में इस क्षेत्र की नुमाइंदगी कर रहे 30 विधायकों को लेकर अंतरिम विधानसभा का गठन किया गया। बाद में उत्तराखंड को 70 विधानसभा क्षेत्रों में बांटा गया। अलग राज्य के रूप में उत्तराखंड के हिस्से पांच लोकसभा सीटें आईं। ये हैं टिहरी, पौडी गढवाल, हरिद्वार, अल्मोडा और नैनीताल...

कृषि विधेयकों के खिलाफ कांग्रेस का सोशल मीडिया अभियान, राहुल बोले: सब मिलकर आवाज उठाएं

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  कांग्रेस ने कृषि संबंधी विधेयकों के खिलाफ शनिवार को सोशल मीडिया अभियान की शुरुआत की और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोगों से इससे जुड़ने की अपील करते हुए कहा कि किसानों पर हो रहे ‘अत्याचार’ के खिलाफ सबको मिलकर आवाज उठानी चाहिए। पार्टी ने कृषि संबंधी विधेयकों के विरोध में ‘स्पीक अप फॉर फार्मर्स’ अभियान शुरू किया। इस अभियान के तहत राहुल गांधी और कांग्रेस के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने वीडियो जारी कर इन विधेयकों को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘ मोदी सरकार द्वारा किसानों पर किए जा रहे अत्याचार और शोषण के ख़िलाफ़, आइये साथ मिलकर आवाज़ उठाएं। अपने वीडियो के माध्यम से इस अभियान से जुड़िए।’’ 7 महीने बाद आज देहरादून आएगी शताब्दी एक्सप्रेस, कोविड-19 गाइडलाइन का करना होगा पालन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि कृषि उपज विपणन (एपीएमसी) कानून आज किसानों के बड़े तबके के लिए एक सुरक्षा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मूल्य निर्धारण का एक संकेत है जिसके आधार पर बाजार कीमतें तय करता है। उन्होंने दावा किया कि ये विधेयक एमएसपी के इस महत्व को खत्म...

कृषि बिलों के खिलाफ किसान आंदोलन, रुड़की में टिकैत के कार्यकर्ताओं ने हाईवे पर किया प्रदर्शन, लगा जाम - Devbhoomi News

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  किसानों से जुड़े बिल (Agricultural Bills) के विरोध में आज देश भर के किसान संगठनों  का भारत बंद शुरू हो चुका है. देश के कई हिस्सों में किसानों के प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं. लेकिन पंजाब को छोड़कर इस आंदोलन का बाकी जगहों पर ज्यादा असर देखने को नहीं मिल रहा है. किसानों के 30 से ज्यादा संगठनों की ओर से बुलाए गए इस आंदोलन को कई सियासी पार्टी भी समर्थन दे रही हैं. उत्तराखंड में भी किसानों का कृषि अध्यादेशों का विरोध देखने को मिला। हालांकि यहां बंद का कुछ खास असर नजर नहीं आया। लेकिन विरोध प्रदर्शन का दौर जारी रहा। इसी क्रम में राजधानी देहरादून में किसान यूनियन के सदस्य जुलूस लेकर आईएसबीटी पहुंचे। यहां उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जाम लगा दिया। जिसे पुलिस द्वारा कुछ देर बाद ही हटवाया गया। किसान नीतियों के विरोध में अखिल भारतीय किसान सभा के सदस्यों ने देहरादून के गांधी पार्क के सामने प्रदर्शन किया। वहीं रुद्रपुर गल्ला मंडी में ऊधमसिंह नगर के किसानों ने सभा आयोजित की। इस दौरान यहां पुलिस फोर्स तैनात रही। चंपावत में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी कृषि विधेयकों के खिलाफ अपना व...

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ का अधिकारी शहीद- Devbhoomi News

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  जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले में बृहस्पतिवार को आतंकवादियों के हमले में सीआरपीएफ का एक सहायक उपनिरीक्षक शहीद हो गया। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि आतंकवादियों ने बडगाम जिले के कैसरमुल्ला में सीआरपीएफ की 117वीं बटालियन के सहायक उप निरीक्षक को गोली मार दी थी। उन्होंने बताया कि आतंकवादी एएसआई एन. सी. बडोले की सर्विस राइफल (ए.के.राइफल) भी अपने साथ ले गए। अधिकारी ने बताया कि बादामी बाग स्थित सेना के 92 बेस अस्पताल में इलाज के दौरान जवान की मौत हो गई। अधिकारी ने बताया कि इलाके की घेराबंदी कर आतंकवादियों की तलाश शुरू कर दी गई है। Read more : Uttrakhand News in Hindi

उत्तराखंड : विधानसभा का एक दिनी सत्र आज, ट्रैक्टर से विस पहुंचे कांग्रेस विधायक -Devbhoomi News

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    कोरोना के संकट के बीच आज एक दिन का विधानसभा सत्र चल रहा है। पहली बार हाइब्रिड तरीके से आयोजित हो रहे विधानसभा सत्र में हंगामे के भी पूरे आसार हैं। कुछ देर बाद इन विधायकों को ट्रैक्टर से विधानसभा जाने दिया गया। कृषि विधेयक के खिलाफ विरोध जताते हुए यह विधायक ट्रैक्टर पर विधानसभा पहुंचे । सभी मंत्री और विधायकों द्वारा पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी, पूर्व विधायक स्वर्गीय बृजमोहन कोटवाल और स्वर्गीय नारायण सिंह भैंसोङा को सदन में श्रद्धांजलि दी गई। जिसके बाद सदन की कार्यवाही शुरू हुई। मुख्यमंत्री, मंत्री मदन कौशिक, अरविंद पांडेय, सुबोध उनियाल, रेखा आर्या, सतपाल महाराज ,विधायक मुन्ना सिंह चौहान, मुकेश कोली, भरत चौधरी, प्रीतम सिंह चौहान, प्रीतम सिंह पंवार, ममता राकेश, सुरेंद्र सिंह जीना, काजी निजामुद्दीन, मनोज रावत इत्यादि सदन में मौजूद हैं। विधानसभा से मिली जानकारी के मुताबिक सत्र में प्रश्नकाल नहीं होगा। सरकार की ओर से करीब 19 विधेयक लाए जा रहे हैं। इनमें से कई विधेयक रिप्लेसमेंट बिल भी हैं। मतलब यह कि सरकार पूर्व में लाए गए अध्यादेशों को विधेयक के...

किसानों की आत्महत्या के विवरण नहीं दे रहे हैं कई राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश: केंद्र

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        केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने किसान आत्महत्याओं का ब्यौरा नहीं दिया है और इसलिए, कृषि क्षेत्र में आत्महत्या के कारणों संबंधी राष्ट्रीय आंकड़ा ‘अपुष्ट’ है और इसे प्रकाशित नहीं किया जा सकता है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का जिक्र करते हुए सदन को सूचित किया कि कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने विभिन्न प्रकार से पुष्टि किये जाने के बाद किसानों, उत्पादकों एवं खेतिहर मजदूरों द्वारा आत्महत्या का ‘शून्य’ आंकड़ा होने की बात कही है जबकि अन्य पेशों में कार्यरत लोगों द्वारा आत्महत्या की घटनाओं की सूचना मिली है। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि इस कमी के कारण, कृषि क्षेत्र में आत्महत्या के कारणों के बारे में कोई राष्ट्रीय आंकड़ा पुष्ट नहीं है और इसे अलग से प्रकाशित नहीं किया गया।’’ आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्याओं के नवीनतम राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में 10,281 किसानों ने किसानों ने आत्महत्या की जबकि वर्ष 2018 म...