राज्यसभा की एक सीट का चुनाव : भाजपा की जीत तय- Devbhoomi News
देहरादून। पिछले दो लोकसभा चुनाव में पांचों सीटों पर परचम फहराने और 2017 के विधानसभा चुनाव में 70 में से 57 सीटों पर काबिज होकर इतिहास रचने के बाद भाजपा अगले महीने एक और चुनावी उपलब्धि खाते में जुड़ने का इंतजार कर रही है। यह है राज्यसभा की एक सीट का चुनाव। फिलहाल यह सीट कांग्रेस के पास है, लेकिन अब जिस तरह का गणित राज्य विधानसभा में है, उसमें भाजपा की जीत तय है। यही वजह है कि भाजपा के कई दिग्गजों की नजरें इस सीट पर टिकी हुई हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। यह बात दीगर है कि पार्टी ने अगर उत्तराखंड के बाहर से किसी बड़े नेता को टिकट थमाया तो किसी और की भी लॉटरी लग सकती है।
नौ नवंबर 2000 को उत्तराखंड देश के 27वें राज्य के रूप में वजूद में आया। तब उत्तर प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद में इस क्षेत्र की नुमाइंदगी कर रहे 30 विधायकों को लेकर अंतरिम विधानसभा का गठन किया गया। बाद में उत्तराखंड को 70 विधानसभा क्षेत्रों में बांटा गया। अलग राज्य के रूप में उत्तराखंड के हिस्से पांच लोकसभा सीटें आईं। ये हैं टिहरी, पौडी गढवाल, हरिद्वार, अल्मोडा और नैनीताल। इनके अलावा राज्यसभा में तीन सीटों का प्रतिनिधित्व मिला है। महत्वपूर्ण बात यह कि पिछले 20 सालों के दौरान केंद्रीय राजनीति के कई बडे चेहरों को उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य बनने का अवसर मिला है। इनमें केंद्रीय मंत्री रहीं स्व. सुषमा स्वराज, वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, तरुण विजय, मनोहर कांत ध्यानी, कांग्रेस के दिग्गज कैप्टन सतीश शर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, सत्यव्रत चतुर्वेदी, महेंद्र सिंह माहरा के नाम शामिल हैं। इनके अलावा कांग्रेस के राज बब्बर और भाजपा के मुख्य प्रवक्ता व राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी वर्तमान में उत्तराखंड का राज्यसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। तीसरी सीट कांग्रेस के प्रदीप टमटा के पास है।
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अगले महीने जो सीट खाली हो रही है, वह है कांग्रेस के राज बब्बर की। राज बब्बर वर्ष 2015 में कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य मनोरमा डोबरियाल शर्मा के निधन के कारण रिक्त हुई सीट के उप चुनाव में जीत दर्ज कर राज्यसभा पहुंचे थे। मनोरमा डोबरियाल शर्मा नवंबर 2014 में राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुई थी। राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल छह वर्ष होता है, लिहाजा इस सीट पर उपचुनाव जीते राज बब्बर का कार्यकाल नवंबर 2020 में पूरा हो जाएगा।
उत्तराखंड विधानसभा में भाजपा के पास तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत है। 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 57 विधायक हैं। साफ है कि विधानसभा के अंदर के इस गणित के मुताबिक भाजपा आसानी से राज्यसभा चुनाव जीतने की स्थिति में है। यही वजह है कि कई वरिष्ठ भाजपा नेता इसके लिए दावेदारों की कतार में हैं। हालांकि, अभी सार्वजनिक रूप से किसी ने अपनी दावेदारी पेश नहीं की है।
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अब राज बब्बर के कार्यकाल का लगभग डेढ ही महीना बाकी है। यानी, इस राज्यसभा सीट के लिए चुनाव प्रक्रिया अगले कुछ दिनों में आरंभ हो जाएगी। अब तक इस सीट पर कांग्रेस काबिज है, लेकिन इस दफा उसके लिए कोई उम्मीद नहीं। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस अपनी प्रतिद्वंद्वी भाजपा को वॉकओवर देगी या फिर प्रतीकात्मक रूप से ही सही, किसी को चुनावी मैदान में उतारेगी। उधर, भाजपा में इस सीट के लिए जोर आजमाइश शुरू हो गई है। दावेदारों में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का नाम सबसे ऊपर माना जा है।
अगर भाजपा किसी स्थानीय नेता को ही राज्यसभा भेजने का फैसला करती है तो बहुगुणा का दावा सबसे मजबूत होगा। गौरतलब है कि बहुगुणा की मार्च 2016 में कांग्रेस की टूट में सबसे अहम भूमिका रही थी। तब वह कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए थे, तो माना जा रहा था कि पार्टी उन्हें लोकसभा या राज्यसभा भेज सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने स्वयं वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। भाजपा ने उनके पुत्र सौरभ बहुगुणा को टिकट दिया, जो अब विधायक हैं।
भाजपा के प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू को भी इस सीट के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा है। लंबे समय तक केंद्रीय संगठन से जुड़े रहने और प्रदेश प्रभारी होने के नाते जाजू भी मजबूत दावेदार हैं। चर्चा एक और नाम की भी है। भाजपा के हरियाणा के प्रदेश संगठन मंत्री सुरेश भट्ट का नाम भी दावेदारों में शुमार किया जा रहा है। वैसे सियासत में कभी भी, कुछ भी हो सकता है। लिहाजा किसका नंबर लगेगा, यह अगले दो हफ्तों में साफ हो जाएगा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत का कहना है कि राज्यसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी के चयन पर पार्टी में विमर्श शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व सभी पहलुओं पर चर्चा कर ही कोई फैसला लेगा। राष्ट्रीय नेतृत्व का जो भी फैसला होगा, वह सभी को स्वीकार होगा।
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